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हर रोज तुम

मनमोहन पालीवाल
कांकरोली, (राजस्थान)
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हर रोज तुम ख्वाबों में आया करो
रोज की तरह तुम हमें सताया करो

गलती से रूठ भी जाएं हम कभी
रोज की तरह तुम हमें मनाया करो

पल दो पल की दूरियाँ खलती हे
करीब आकर, तुम सहलाया करो

परेशां हो जाते हे कभी मानलो
खूशबू-ए-गुलाब तुम ले आया करो

बे खबर हो जाएं जिंदगी से कभी
करीब आकर तुम जगाया करो

तुम्हारे होने से हमारी ये सांसे रहती
ओर बातों मे हमें न फंसाया करो

जहां रहता हो उस चाँद का पहरा
मोहन वही रात मेरे लाया करो

प्यार तुम से किया हे ज़माने से नहीं
ओर का ड़र बताकर डराया न करो

परिचय :- मनमोहन पालीवाल
पिता : नारायण लालजी
जन्म : २७ मई १९६५
निवासी : कांकरोली, तह.- राजसमंद राजस्थान
सम्प्रति : प्राध्यापक
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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