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वृक्ष

संतोष गौरहरी साहू
डोंबिवली पूर्व मुंबई (महाराष्ट्र)

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देखो बागों में कैसे फल फूल से बगिया सजी हुई !
हरियाली इस जग में अपने वृक्षों से ही बनी हुई!

रहते कड़ी धूप में वो, कहते नहीं कभी कुछ भी !
देते हमको सब कुछ वो, ना लेते बदले में कुछ भी !

कड़ी धूप से बचना हो तो छाया वृक्षों की लगती !
ताजे मीठे फलो को खाने से मिलती हमको शक्ति!

आंधी तूफ़ा हो बाढ भुकम्प, इनको ना किसीका डर!
पर इंसानों की बस्ती में, लगता इनको सबसे डर!

वृक्ष है तो जीवन धरती पर सफल और साकार है!
वृक्ष ना हो इस जग में तो फिर सुना ये संसार है!

धरती पर वृक्षों ने हमको, दिया अनमोल खजाना है!
वृक्ष हमें लगाना है, इस जग को हमे बचाना!

परिचय –   संतोष गौरहरी साहू
पिता : श्री गौरहरी कैलास साहू
जन्म तिथि : २८/०२/१९९०
जन्म स्थान : मुंबई, महाराष्ट्र।
निवासी : डोंबिवली पूर्व, मुंबई (महाराष्ट्र)
शिक्षा : एमएससी, बीएससी, डिप्लोमा कंप्यूटर।
वर्क प्रोफेशनल : आईटी एनालिस्ट (सिस्टम एडमिनिस्ट्रेटर)
सम्मान : भारत के साहित्य रत्न, काव्या संसार बीएससी
घोषणा पत्र :  मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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