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गुरुनानक देव

अमिता मराठे
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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दुनिया के हर समाज में पथ प्रदर्शक के रूप में गुरु का स्थान श्रेष्ठ और महत्वपूर्ण होता है। वह दिव्य ज्ञान दाता होता है। गुरू नानक देव सिख धर्म के संस्थापक और सिखों के पहले ऐसे गुरु थे जिनकी शिक्षाऐं धर्म विशेष ही नहीं, पूरी मानव जाति को नया प्रकाश दिखाती है। इसलिए उनके जन्मदिवस को प्रकाश पर्व के रुप में मनाया जाता है। ज्ञान से झोली भरने आये गुरु से सिख समाज “वाहे गुरुजी का खालसा वाहे गुरु जी की फतेह” कहते प्रेम से ज्ञान की समझ लेकर झोली भरते हैं।
१५ वी सदी में भारत के पंजाब क्षेत्र में सिख धर्म का आगाज हुआ। इसकी धार्मिक परम्पराओं को गुरु गोविंद सिंह जी ने ३० मार्च १६९९ के दिन अंतिम रूप दिया। विभिन्न जातियों के लोगों ने सिख धर्म की दीक्षा लेकर खालसा धर्म सजाया था।
गुरु नानक देव ने समाज में समरसता के लिए प्रयास किए। उन्होंने शोषण, ज़ुल्म और असमानता से भरे समाज के उस आम आदमी के लिए आवाज उठाई जो हाशिए पर था। ओजस्वी वाणी द्वारा सत्य के प्रति जागरूक किया।
उन्होंने “गुरु ग्रन्थ साहिब” में लिखा है “ज्योति स्वरूप ईश्वर को जान लेने पर भी उसे शब्दों से व्यक्त नहीं किया जा सकता बल्कि ह्रदय से अनुभव किया जा सकता है।” इस प्रकार निराकार ईश्वर की उपासना का संदेश देकर मूर्ति पूजा का विरोध किया।
उन्होंने तात्कालिक समाज की बुराइयों और कुरीतियों को दूर करने केलिए जीवन समर्पित कर दिया। देव सदा बेबस, दुखी लोगों के साथ खड़े रहे। उनका दर्शन मानव कल्याण के लिए था। उन्होंने हर चीज को साझा करना सिखाया चाहे धन हो चाहे भोजन। वर्ण व्यवस्था पर भी नानक जी ने खुले शब्दों में विरोध किया। भगवान के दरबार में सब समान है। प्रवचन कीर्तनो में इस भावनाओं को गंभीरता से लिया गया है।आज़ नानक देवजी की शिक्षाएं शोषण मुक्त और संवेदनशील समाज का निर्माण करने में समर्थ है।

परिचय :- अमिता मराठे
निवासी : इन्दौर, मध्यप्रदेश
शिक्षण : प्रशिक्षण एम.ए. एल. एल. बी., पी जी डिप्लोमा इन वेल्यू एजुकेशन, अनेक प्रशिक्षण जो दिव्यांग क्षेत्र के लिए आवश्यक है।
वर्तमान में मूक बधिर संगठन द्वारा संचालित आई.डी. बी.ए. की मानद सचिव।
४५ वर्ष पहले मूक बधिर महिलाओं व अन्य महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए आकांक्षा व्यवसाय केंद्र की स्थापना की। आपका एकमात्र यही ध्येय था कि महिलाओं को सशक्त बनाया जा सके। अब तक आपके इंस्टिट्यूट से हजारों महिलाएं सशक्त हो चुकी हैं और खुद का व्यवसाय कर रही हैं।
शपथ : मैं आगे भी आना महिला शक्ति के लिए कार्य करती रहूंगी।
प्रकाशन :
१ जीवन मूल्यों के प्रेरक प्रसंग
२ नई दिशा
३ मनोगत लघुकथा संग्रह अन्य पत्र पत्रिकाओं एवं पुस्तकों में कहानी, लघुकथा, संस्मरण, निबंध, आलेख कविताएं प्रकाशित राष्ट्रीय साहित्यिक संस्था जलधारा में सक्रिय।
सम्मान :
* मानव कल्याण सम्मान, नई दिल्ली
* मालव शिक्षा समिति की ओर से सम्मानित
* श्रेष्ठ शिक्षक सम्मान
* मध्यप्रदेश बधिर महिला संघ की ओर से सम्मानित
* लेखन के क्षेत्र में अनेक सम्मान पत्र
* साहित्यकारों की श्रेणी में सम्मानित आदि


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