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प्रथम पूज्य हैं गणपति देवा

रजनी गुप्ता ‘पूनम चंद्रिका’
लखनऊ
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प्रथम पूज्य हैं गणपति देवा।
सर्वप्रथम हो उनकी सेवा।।
संकट टालो अतिशय भारी।
हनुमत आई शरण तिहारी।।

सबका मंगल करने वाले।
मुझको अपने चरण बिठा ले।।
तुलसी कृत मानस है भाती
भक्ति-सुभाव हृदय में लाती।।

मानस में वर्णित चौपाई।
उर में श्रद्धा बहु उपजाई।।
मातु पिता की महिमा गाई।
गुरु के चरण बहुत सुखदाई।।

प्रेम करें सब भाई-भाई।
सकल विश्व पूजित रघुराई।।
कैकेई ने प्रभु को माना।
राह सुगम की वन को जाना।।

तज महलों को सीता माता।
संग पिया का अति मन भाता।।
उर्मिल सहती थी दुख भारी।
रहें कर्म-पथ लखन सुखारी।।

निज इच्छा से प्रभु की सेवा।
राम सकल जग के हैं देवा।।
सीख भरत से यह हम लेते।
प्रभु के चरण परम सुख देते।।

प्रातः वेला अति मनभायी।
पुण्य प्रताप मधुर रसदायी।।
राम नाम अति मंगलकारी।
प्रमुदित हो लेते नर-नारी।।

धन्य-धन्य हैं हुलसी माता।
तुलसी-सा सुत हर घर आता।।
तुलसी के मानस की थाती।
रजनी पढ़ती अरु हर्षाती।।

परिचय : रजनी गुप्ता ‘पूनम चंद्रिका’
उपनाम :- ‘चंद्रिका’
पिता :- श्री रामचंद्र गुप्ता
माता – श्रीमती रामदुलारी गुप्ता
पति :- श्री संजय गुप्ता
जन्मतिथि व निवास स्थान :- १६ जुलाई १९६७, तहज़ीब व नवाबों का शहर लखनऊ की सरज़मीं
शिक्षा :- एम.ए.- (राजनीति शास्त्र) बीएड
व्यवसाय :- गृहणी
प्रकाशन :- राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर म.प्र. के  hindirakshak.com पर रचना प्रकाशन के साथ ही कतिपय पत्रिकाओं में कुछ रचनाओं का प्रकाशन हुआ है
सम्मान :- समूहों द्वारा विजेता घोषित किया जाता रहा है। दो बार नागरिक अभिनंदन पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। मंचों पर काव्य-पाठ व लघुकथा का पाठन करती रहती हूँ। सांस्कृतिक एवं सामाजिक योगदान हेतु सम्मान-पत्र प्रदान किया गया है। विद्यालय के समय भी अनेक पुरस्कार मिले हैं।
रचना की विधा :- अधिकतर दोहा सृजन, छंदमुक्त कविताएँ, मुक्तक, दोहा, गजल, छंद, हाइकु दोहा, गीत, गीतिका, लघुकथा, संस्मरण आदि….
घोषणा पत्र :- मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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