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आदिम रंग में रँगा बाजार के प्रतिकार का पर्व छठ पूजा

डॉ. पंकजवासिनी
पटना (बिहार)
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घोर बाजारीकरण के युग में भी बाजार का प्रतिकार करते घोर आदिम और पुरातन रंग में सराबोर लोक-ठाठ एवं लोक-आस्था व गहन श्रद्धा-भक्ति का परम पावन पर्व है छठ पूजा! यह शुद्धता, सात्विकता, स्वच्छता, सामूहिकता, सरलता और पवित्रता का महापर्व है! छठ पूजा प्रकृति और मनुष्य के बीच तथा प्रकृति एवं पुरुष के बीच आत्मिक संबंध, गहन जुड़ाव एवं समन्वय का पर्व है! इस पर्व की सबसे बड़ी विशेषता है कि यह किसी भी प्रकार के कर्मकांड, मूर्ति पूजा, पाखंड-आडंबर और पंडा-पुरोहित के हस्तक्षेप से पूर्णतया मुक्त मनुष्य की विशुद्ध श्रद्धा एवं गहन आस्था का पर्व है! यह पर्व जाति, धर्म, वर्ण एवं ऊंँच-नीच तथा राजा-रंक और अमीर-गरीब के भेदभाव से बहुत ऊपर एवं बिल्कुल अछूता है!! प्रकृति के साथ मनुष्य के आत्मीयता से आप्लावित सह-अस्तित्व और लोक संवेदना का पर्व है यह!
मिट्टी के चूल्हे पर आम की लकड़ी के ईंधन से गेहूंँ के आटे-गुड़ और गाय के घी से बने प्रसाद ठेकुआ, नए चावल-गुड़-दूध से बने कसार के साथ सेब, केला, ईख, नारियल गागरा नींबू, संतरा, मूली, अदरक, सूथनी-शकरकंद, सिंघाड़ा आदि अभिजात्य एवं हाशिए पर पड़े उपेक्षित फलों को भी समान महत्व देकर पूजा में शामिल करना छठ पर्व को लोक समन्वय एवं समावेशी संस्कृति का सर्वोत्कृष्ट तथा गरिमामय महापर्व सिद्ध करता है!!!

दिनभर ऊर्जा और प्रकाश की संजीवनी से धरती के चराचर को जीवनदायी ऊष्मा प्रदान कर संध्या में अस्ताचल को सुस्ताते सूर्य देव की आराधना का पर्व छठ वस्तुतः जीवन भर अपने कर्तव्यों और दायित्वों को निभाते हुए एक पीढ़ी को पालन-पोषण कर संवर्धित परिवर्धित करके समाज का योग्य नागरिक बनाने के पश्चात् थके-माँदे सुस्ताते तेज विहीन-अशक्त वृद्धों के प्रति अपनी हार्दिक कृतज्ञता ज्ञापित करने एवं सम्मान देने का पर्व है कि आपने जिसे अपनी आत्मा का अंश देकर सींचा है वह कल अकूत संभावनाओं का स्वर्णिम सूर्य बनकर संपूर्ण संसार को… जीवन-जगत को… परिवार- समाज को… आलोकित करेगा और इसी बहाने निस्तेज एवं शक्तिहीन हो गए वृद्धों का सम्मान करना और उनके जीवन-उपयोगी अनुभवों को महत्व देना सिखलाता है छठ पर्व! यही भारतीय संस्कृति की महनीय गरिमामयी परंपरा रही है!!

परिचय : डॉ. पंकजवासिनी
सम्प्रति : असिस्टेंट प्रोफेसर भीमराव अम्बेडकर बिहार विश्वविद्यालय
निवासी : पटना (बिहार)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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