तनेंद्रसिंह “खिरजा”
जोधपुर (राजस्थान)
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ये कथा हैं एक जौहर की
एक केशरिये पानी की
समरखेत में शीश छौंपने*
वाली हाड़ी रानी की
एक निशा न बीती बंधन
ये कुदरत की अठखेली थी
मेहंदी का रंग तर पड़ा था
हाड़ी अभी नवेली थी
सुनते जाओ रजपूती को
तुम्हें सुनाने आया हूँ
और हाड़ी वाली क्षत्राणी के
बलिदान को गाने आया हूँएक समय जब काल के बादल
मेवाड़ धरा पर मंडराए
कम्पित हुई जनता सारी
स्वयं महाराणा घबराए
औरंग की सेना ने कूचा
मेवाड़ी प्राचीरों को
राजसिंह घबराए और
पत्र भेजे उन वीरों को
शीघ्र बुलाओ चुंडावत को
वो औरंग को रोकेगा
समरांगण में वही मात्र हैं
जो प्राणों को झोंकेगा
सुनते जाओ अभी शेष हैं
स्वाभिमानी लहू पड़ा
हाथ ध्वज ले चुण्डा विजय को
क़िले के आगे जूझ खड़ा
सुनते जाओ रजपूती को
तुम्हें सुनाने आया हूँ
और हाड़ी वाली क्षत्राणी के
बलिदान को गाने आया हूँख़त मेवाड़ी जंग को लेकर
दरबान सलूंबर आया हैं
हे भारत के वीर उठो
मेवाड़ ने तुम्हें बुलाया हैं
ये देख संदेशा चुंडावत ने
अपने महल को घूम लिया
हाथ खड्ग ले तत्पर सामंत
असि को सिर से चूम लिया
देख अचानक विप्लवता को
रानी कुछ स्तब्ध हुई
हे शक्ति अब जाना होगा
जंग अचानक बद्ध हुई
सुनते जाओ रजपूती को
तुम्हें सुनाने आया हूँ
और हाड़ी वाली क्षत्राणी के
बलिदान को गाने आया हूँमेवाड़ धरा को धन्य कराने
रानी तिलक लगाती हैं
ख़ुशी-ख़ुशी रणक्षेत्र में वो
चुण्डा को भिजवाती हैं
प्रेम वियोग में चुण्डा भी अब
आधे-आधे खेल रहे
कुछ रानी को याद कर रहे
कुछ दुश्मन को झेल रहे
ऐसे में अब बीच धार में
दूत क़िले में भेजा हैं
एक सैनाणी दे दो रानी
ये चुण्डा का संदेशा हैं
रण में राजा आधे-आधे
ये कैसे हो सकता हैं?
प्रेम वियोग में भूपत खड़ा
सिंह नहीं सो सकता हैं
इस हाल पर रानी ने*
तुरंत एक संज्ञान लिया
थाली लेकर स्वयं हाथ में
स्वयं के शीश को काट दिया
ये ले जाओ अंतिम अंश को
राजा के हाथ थमा देना
मेरे वचन पहुँचाकर कहना
कि रण में रंग जमा देना
दूत ले पहुँचा रणखेत में
अंतिम अंश दिखाने को
चुण्डा देखकर दंग रह गए
ठीक किया अब बाने को
आ औरंग अब तुझे देख लूँ
सीमा का पहरेदार बनूँ
एक वार भी काफ़ी तुझ पर
मैं सबसे पहला वार करूँ
ये जौहर और ये शौहर की
कथा सुनाने आया हूँ
हे खिरजा के वीर सुनो
मैं तुम्हें सुनाने आया हूँ।।
परिचय :– तनेंद्रसिंह “खिरजा”
निवासी : ग्राम- खिरजा आशा, जोधपुर प्रांत, (राजस्थान)
शिक्षा : स्नातक (विज्ञान वर्ग) जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर
रुचि : साहित्य, संगीत, प्रशासनिक सेवा
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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