Monday, December 23राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

नेतृत्व की फतह

विजय गुप्ता
दुर्ग (छत्तीसगढ़)
********************

समाज सेवा संदेश सदा, समन्वय राह बने वजह।
राग द्वेष पद मोह परे, स्नेहिल सहयोग लाए फतह।

निःस्वार्थ समर्पित नेतृत्व, समय दान में मस्त रहे।
छोटा सुंदर जीवन क्यों, बाधाओं से अभिशप्त रहे।
लेकर चलने की उत्कंठा, बाधित नहीं किसी तरह
समाज सेवा संदेश सदा, समन्वय राह ही बने वजह।
राग द्वेष पद मोह परे, स्नेहिल सहयोग लाये फतह।

शब्द आंदोलन कटुता, लकीर गिराना उचित नहीं
निज बल से होते सफल, नेतृत्व कमल खिले सही
अपनी लकीर बढ़ाना है, छोड़ो जलन स्वार्थ कलह
समाज सेवा संदेश सदा, समन्वय राह ही बने वजह ।
राग द्वेष पद मोह परे, स्नेहिल सहयोग लाये फतह।

अकेले बीज की ताकत से, प्रचुर मात्रा सब पा जाते
साथियों की उर्वरक फसल, समाज को दिशा दिखाते
भावी पीढ़ी पाए प्रेरणा, रहे विलग ही व्यर्थ जिरह
समाज सेवा संदेश सदा, समन्वय राह ही बने वजह
राग द्वेष पद मोह परे, स्नेहिल सहयोग लाये फतह।

सतत गलती स्वार्थ नज़रिया, नफरत में बदल जाए
रखें गुंजाइश संबंधों में, भविष्य भी खुद शरम खाए
तर्क वितर्क सधे हुए हों, कुतर्क रहने पे करो सुलह।
समाज सेवा संदेश सदा, समन्वय राह ही बने वजह।
राग द्वेष पद-मोह परे, स्नेहिल सहयोग लाए फतह।

परिचय :- विजय कुमार गुप्ता
जन्म : १२ मई १९५६
निवासी : दुर्ग छत्तीसगढ़

उद्योगपति : १९७८ से विजय इंडस्ट्रीज दुर्ग
साहित्य रुचि : १९९७ से काव्य लेखन, तत्कालीन प्रधान मंत्री अटल जी द्वारा प्रशंसा पत्र
काव्य संग्रह प्रकाशन : १ करवट लेता समय २०१६ में, २ वक़्त दरकता है २०१८
राष्ट्रीय प्रशिक्षक : (व्यक्तित्व विकास) अंतराष्ट्रीय जेसीस १९९६ से
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें….🙏🏻.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *