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मर्यादा की मूरत राम

सुधीर श्रीवास्तव
बड़गाँव, गोण्डा, (उत्तर प्रदेश)
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माँ कौशल्या की कोख से
नृप दशरथ सुत जन्में राम।
नवमी तिथि चैत्र मास को
अयोध्या का था रनिवास।।

निहाल हुए अयोध्यावासी,
बजने लगी चहुंओर बधाई।
जन जन के अहोभाग्य हो,
मानुज तन ले प्रगटे रघुराई।।

माता पिता की करते सेवा नित,
न्योछावर थे खुशियों की खातिर।
छोड़ दिये सुख राज महल के,
माँ कैकई के दो वचन खातिर।।

पिता की आज्ञा मान गये वन,
विश्व बंधुत्व का भाव भर कर।
जनकसुता का किया वरण,
शिव धनुष भंग स्वयंवर में कर।।

चौदह वर्षों के वनवास काल में,
राक्षसों, दैत्यों का संहार किया।
शबरी के जूठे बेरों को खाकर,
नवधा भक्ति दे उद्धार किया.

पुत्र, भाई, दोस्त की बने मिसाल,
सबकी चिंता को मन में लाये।
अपनी चिंता का ध्यान न कर,
रावणवध से आतंक मिटाए।।

पर ज्ञानी रावण की विद्वता को,
अंतरमन से स्वीकार किये।
मर्यादा की मूरत प्रभु श्री राम,
मर्यादा हित सारे काज किये।।

सकल जहां में जिनका यश फैला,
वो जन जन के आधार बने।
करें बखान सुर, नर, मुनि जन
संकट सबके उनने थे हरे।।

रामनाम की महिमा है भारी,
जपने से मुक्ति सब हैं पाते।
सबका ध्यान रखते थे सदा वे,
मर्यादा पुरुषोत्तम थे कहलाते।।

भेदभाव नहीं करते थे वे,
ऐसे प्रभु श्रीराम हमारे हैं
राम नाम में बस कर प्रभु,
बने सबके तारण हारे हैं।।

परिचय :- सुधीर श्रीवास्तव
जन्मतिथि : ०१/०७/१९६९
शिक्षा : स्नातक, आई.टी.आई., पत्रकारिता प्रशिक्षण (पत्राचार)
पिता : स्व.श्री ज्ञानप्रकाश श्रीवास्तव
माता : स्व.विमला देवी
धर्मपत्नी : अंजू श्रीवास्तव
पुत्री : संस्कृति, गरिमा
संप्रति : निजी कार्य
विशेष : अधीक्षक (दैनिक कार्यक्रम) साहित्य संगम संस्थान असम इकाई।
रा.उपाध्यक्ष : साहित्यिक आस्था मंच्, रा.मीडिया प्रभारी-हिंददेश परिवार
सलाहकार : हिंंददेश पत्रिका (पा.)
संयोजक : हिंददेश परिवार(एनजीओ) -हिंददेश लाइव -हिंददेश रक्तमंडली
संरक्षक : लफ्जों का कमाल (व्हाट्सएप पटल)
निवास : गोण्डा (उ.प्र.)
साहित्यिक गतिविधियाँ : १९८५ से विभिन्न विधाओं की रचनाएं कहानियां, लघुकथाएं, हाइकू, कविताएं, लेख, परिचर्चा, पुस्तक समीक्षा आदि १५० से अधिक स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर की पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित। दो दर्जन से अधिक कहानी, कविता, लघुकथा संकलनों में रचनाओं का प्रकाशन, कुछेक प्रकाश्य। अनेक पत्र पत्रिकाओं, काव्य संकलनों, ई-बुक काव्य संकलनों व पत्र पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल्स, ब्लॉगस, बेवसाइटस में रचनाओं का प्रकाशन जारी।अब तक ७५० से अधिक रचनाओं का प्रकाशन, सतत जारी। अनेक पटलों पर काव्य पाठ अनवरत जारी।
सम्मान : विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा ४५० से अधिक सम्मान पत्र। विभिन्न पटलों की काव्य गोष्ठियों में अध्यक्षता करने का अवसर भी मिला। साहित्य संगम संस्थान द्वारा ‘संगम शिरोमणि’सम्मान, जैन (संभाव्य) विश्वविद्यालय बेंगलुरु द्वारा बेवनार हेतु सम्मान पत्र।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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