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भाषाई निपुणता

सीमा तिवारी
इन्दौर (मध्य प्रदेश)
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आर्यन चुपचाप बैठ जाओ और मुझे शाम की रूप चौदस की पूजा की तैयारियाँ करने दो |
माँ की ये बात सुनकर नौ वर्ष का मासूम आर्यन आकर बरामदे में चुपचाप बैठ गया |
भैया आप पीछे अटाले में रखे लकड़ी के पटियों से भोलू के लिए शेड बना दो | माँ काम कर रही है और पापा ऑफिस गए हैं | मुझे देखते ही वो मुझसे बोला | मैं जो कि आर्यन के घर पेइंग गेस्ट हूँ और पीएच. डी. कर रहा हूँ | गृह मालकिन की अनुमति से शेड बनाने में जुट गया |
तुम्हारा भोलू आएगा ? मैंने पूछा |
हाँ कल वो पटाखों की आवाज से बहुत डर गया था | जोर-जोर से भौंक रहा था तो मैंने उसे बिस्किट देकर कोने में बिठाकर उस पर बोरा डाल दिया था | देखना भैया वो आज भी आएगा | आर्यन विश्वास से बोला |
शेड तैयार हो गया था | सब त्यौहार मनाने में व्यस्त थे | आर्यन नए कपड़े पहन कर दरवाजे पर खड़ा भोलू का इंतजार कर रहा था और मैं खिड़की के पास बैठा उसके इंतजार के पूरे होने की प्रतीक्षा |
आतिशबाजी शुरु हो गई थी | भोलू आया | कूँ-कूँ करता हुआ आर्यन के पैरों को चाटने लगा | आर्यन उसे दुलार कर बोला |
आ भोलू शेड में बैठ जा | डर नहीं लगेगा | पटाखे भी नहीं चेटेंगे | मैंने दूध बिस्किट पहले ही रख दिया है | कहते हुए आर्यन शेड की तरफ चल पड़ा और भोलू उसके पीछे-पीछे जैसे वो सारी बातें समझ गया था जो आर्यन ने कही |
मेरी आँखों में नमी और होंठों पर मुस्कान तैर गई | आखिर स्नेह के संवादों को भला भाषाई निपुणता की क्या जरूरत ?

परिचय :- सीमा तिवारी
शिक्षा : एम एस सी (गणित) और बी एड
निवास : इन्दौर (मध्यप्रदेश)
कृति : संवेदनाएँ (कहानी संग्रह)
प्रमाणीकरण : मेरी यह रचना स्वरचित मौलिक एवं अप्रकाशित है।


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