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सफर के पीछे हमसफर

डॉ. तेजसिंह किराड़ ‘तेज’
नागपुर (महाराष्ट्र)
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आगे सफर था
और पीछे हमसफर था..
रूकते तो सफर छूट जाता
और चलते तो हमसफर छूट जाता।
मंजिल की भी हसरत थी
और उनसे भी मोहब्बत थी..
ए दिल तू ही बता,
उस वक्त मैं कहाँ जाता…
मुद्दत का सफर भी था और
बरसो का हमसफर भी था।
रूकते तो बिछड़ जाते
और चलते तो बिखर जाते….
यूँ समझ लो,
प्यास लगी थी गजब की…
मगर पानी में जहर था…
पीते तो मर जाते और
ना पीते तो भी मर जाते।
बस! यही दो मसले,
जिंदगी भर ना हल हुए!!!
ना नींद पूरी हुई,
ना ख्वाब मुकम्मल हुए!!!
वक़्त ने कहा…..काश!
थोड़ा और सब्र होता!!
सब्र ने कहा….काश
थोड़ा और वक़्त होता!
सुबह-सुबह उठना पड़ता है
कमाने के लिए साहेब…।।
आराम कमाने निकलता हूँ
आराम छोड़कर।।
“हुनर” सड़कों पर तमाशा करता है
और “किस्मत” महलों में राज करती है!!
“शिकायतें तो बहुत है तुझसे ऐ जिन्दगी,
पर चुप इसलिये हूं कि, जो दिया तूने,
वो भी बहुतो को नसीब नहीं होता”..
अजीब सौदागर है ये वक़्त भी!!!!
जवानी का लालच दे के
बचपन ले गया….
अब अमीरी का लालच दे के
जवानी ले जाएगा. ……
लौट आता हूँ वापस घर की तरफ…
हर रोज़ थका-हारा,
आज तक समझ नहीं आया की
जीने के लिए काम करता हूँ
या काम करने के लिए जीता हूँ।
बचपन में सबसे अधिक बार पूछा गया सवाल-
“बडे होकर क्या बनना है?”
जवाब अब मिला है,
“फिर से बच्चा बनना है.
“थक गया हूँ तेरी नौकरी से ऐ जिन्दगी
मुनासिब होगा मेरा हिसाब कर दे…!!”
दोस्तों से बिछड़ कर
यह हकीकत खुली…
बेशक, कमीने थे पर
रौनक उन्ही से थी!!
भरी जेब ने ‘दुनिया’ की
पहचान करवाई
और खाली जेब ने
‘अपनो’ से रूलाई करवाई।
जब लगे पैसा कमाने,
तो समझ आया,
शौक तो मां-बाप के
पैसों से पूरे होते थे।
अपने पैसों से तो सिर्फ
जरूरतें पुरी होती है। …!!!
हंसने की इच्छा ना हो…
तो भी हंसना पड़ता है…
कोई जब पूछे कैसे हो…??
तो मजे में हूँ कहना पड़ता है…
ये ज़िन्दगी का रंगमंच है दोस्तों….
यहाँ हर एक को
नाटक करना पड़ता है।
“माचिस की ज़रूरत
यहाँ नहीं पड़ती…
यहाँ आदमी
आदमी से जलता है…!!”
दुनिया के बड़े से बड़े साइंटिस्ट,
ये ढूँढ रहे है की
मंगल ग्रह पर जीवन है या नहीं,
पर आदमी ये नहीं ढूँढ रहा
कि जीवन में मंगल है या नहीं।
मंदिर में फूल चढ़ा कर आए
तो यह एहसास हुआ कि…
पत्थरों को मनाने में,
फूलों का क़त्ल कर आए हम
गए थे गुनाहों की माफ़ी माँगने ….
वहाँ एक और गुनाह कर आए हम….।।
एक और गुनाह कर आए हम….।।

परिचय :- डॉ. तेजसिंह किराड़ ‘तेज’
मूल निवासी : अमझेरा, जिला धार (म.प्र.)
जन्म दिनांक : १२/११/१९६६
शिक्षा : एम.ए.,एमफिल, पीएच.डी
* वरिष्ठ पत्रकार व राजनीति विश्लेषक
* शिक्षाविद्‌
* भूगोलवेत्ता
* पीएचडी शोध सुपरवाईजर
* कवि, कहानीकार व लेखक
सम्प्रति : (सहायक कुलसचिव ) नागपुर (महाराष्ट्र)
सम्मान : ग्राम गौरव अवार्ड, समाज रत्न सम्मान, समाज भूषण अवार्ड, उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान, प्रखर प्रवक्ता सम्मान, साहित्य रत्न और साहित्य भूषण सम्मान, यंग ज्याग्राफर्स अवार्ड, क्रांतीकारी लेखक सम्मान, उत्कृष्ट मंच संचालक सम्मान, शब्द अलंकरण सम्मान, सरस्वती मानस सम्मान, उत्कृष्ट समाज सेवक सम्मान आदी सम्मान से सम्मानीत।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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