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सात जन्मों का बंधन

अनुराधा प्रियदर्शिनी
प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)
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जन्म-जन्म नाता हमारा साथ जन्मों का बंधन
प्रेम और विश्वास से इसको सिंचित करना है।

सुख-दुख के हम साथी बने मिला देव आशीष
कल किसने देखा है वादा हर पल निभाना है

तुम मेरे सांसों में कुछ ऐसे समाए हो साजन
जैसे सरगम का संगीत तुमसे है गहरी प्रीत

सारा श्रृंगार तुम्हारे लिए करूं सोलह श्रृंगार
तुम्हारा प्रेम जो मिला सुगंध फैली चहुं ओर

तुमको पाकर जैसे पूरी हुई है सारी ही आस
रहो सलामत सदा तभी मेरे होंठों पर मुस्कान

सारी दुनिया से मैं लड़ जाऊं जो तुम मेरे साथ
जो तुमको हो पसंद सदा वही मैं करना चाहूं

बंधन है प्यार का इसमें बंधकर सुख पाती हूं
प्रेम और विश्वास से रिश्ता अनोखा निभाती हूं।

परिचय :- अनुराधा प्रियदर्शिनी
निवासी : प्रयागराज (उत्तर प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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