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करवाचौथ

महेन्द्र सिंह कटारिया ‘विजेता’
सीकर, (राजस्थान)
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कर सोलह श्रृंगार,
भर मन में उल्लास।
प्रियतम ख़ातिर प्रियतमा,
करती करवा का उपवास।….

व्रत सार्थक हो निर्विघ्न,
माँ गौरी समक्ष ले संकल्प।
निर्जला निराहार रहकर,
हो मनोरथ जीवन अकल्प।
जीवनसाथी हो दीर्घायु,
हो ना दुःखों का सामना।
सदा सुहागिन बनी रहूँ,
बस करती यही कामना।
हर वक्त जीवन में,
हो प्रेम सौहार्द का अहसास।
प्रियतम ख़ातिर प्रियतमा….।

आसमां में चाँद देखकर,
पति के हाथों पीती जल।
स्नेह प्रेम से हो आतुर,
भूलती ना अनुपम पल।
रूपसी का रूप निहार,
भर्ता खिलाता प्रथम ग्रास।
खनकती कंगना दमकती बिंदियां से,
होता धरा पर स्वर्ग का आभास।
प्रिया भूल जाती,
भूख और प्यास।
प्रियतम ख़ातिर प्रियतमा….।

परिचय :- महेन्द्र सिंह कटारिया ‘विजेता’
निवासी : सीकर, (राजस्थान)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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