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सात जन्मों का साथ

संजय जैन
मुंबई (महाराष्ट्र)
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मौत से पहले मैं देख लू जन्नत को।
ऐसी मेरी दिलकी आरजू है।
तेरे मेरी मोहब्बत को देखकर।
जीने का अंदाज देख पाएंगे।
और मोहब्बत को जान पाएंगे।
दिलको दिल में तभी बसायेंगे।।

जात पात ऊँच नीच का इसमें।
कोई चक्कर कभी होता ही नहीं।
क्योंकि होता है मोहब्बत में नशा।
जिस को चढ़ता है ये नशा।
हलचले बहुत दिलमें होने लगती है।
इसलिए तो जन्नत दिखती है हमें।।

मोहब्बत में जीने वाले वो जन।
सात जन्मो का करते है वादा।
जब भी लेंगे जन्म इस जहाँ में हम।
साथ तेरे ही जीना मरना चाहेंगे।
और अपनी मोहब्बत को हम।
निभायेंगे सात जन्मों तक।।

जैसे राधा कृष्ण की मोहब्बत को
लोग आज भी याद करते है।
ऐसे ही हम अपनी मोहब्बत को।
यादगार बनाकर जहाँ से जायेंगे।।

परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) सहित बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं। ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी के चलते कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। आप मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखने के साथ-साथ मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है, आप लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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