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सबकी इक दिन इति होती है

राम स्वरूप राव “गम्भीर”
सिरोंज- विदिशा (मध्य प्रदेश)

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सबकी इक दिन इति होती हैं।
निश्चित सबकी मिती होती हैं।।
आसमान पर उड़ने वाले।
इतिश्री क्षिति पर होती हैं।।
सबकी इक…

अरे तुझे समझाऊँ मैं क्या।
जाने सब बतलाऊं मैं क्या।।
स्थिर की भी गति होती हैं।।
सबकी इक…

जब जिसके दुर्ददिन आते हैं।
उसको अपने कब भाते हैं।।
उलटी उसकी मति होती हैं।।
सबकी इक…

परोपकार के काम करो तो।
धर्म नीति का मान करो तो।।
जीवनी उसकी कृति होती हैं।।
सबकी इक…

दस इंद्री पर विजय करो यदि।
सत्य वचन पर अडिग रहो यदि।।
राम की सी संतति होती हैं।।
सबकी इक…

जो अपने को मानें सब कुछ।
सब जिसकी नजरों में न कुछ।।
प्रतिफल में दुर्गति होती हैं।
सबकी इक दिन इति होती हैं।।
सबकी इक…

परिचय :-राम स्वरूप राव “गम्भीर” (तबला शिक्षक)
निवासी : सिरोंज जिला- विदिशा
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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