Friday, November 22राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

दोस्त

निर्दोष लक्ष्य जैन
धनबाद (झारखंड)
********************

अब्दुल ओर राम दोनों में घनिष्ठ मित्रता थी। दोनों के परिवार वाले भी उनकी दोस्ती से खुश रहते थे। दिवाली दशहरा में राम के नये कपड़े आते तो अब्दुल के भी साथ में आते ईद में अब्दुल के कपड़े बनते तो राम के भी बनते। दोनों की दोस्ती की मिसाल दी जाती कोरोना काल में राम के पिताजी कोरोना की चपेट में आ जाते है हॉस्पिटल में इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो जाती है। राम घबरा जाता है वह क्या करे उसने सभी रिश्तेदारों को पड़ोसियों को फोन किया परंतु सबने आने से मना कर दिया। राम को समझ में नही आ रहा था वह क्या करे। तभी उसे अब्दुल का
ख्याल आया उसने तुरंत फोन किया। ओह ये तो बहुत गलत हुवा तुम घबराओ मत म़ैं पापा के साथ तुरंत पहुँचता हुँ। थोड़ी देर में अब्दुल अपने पिता, चाचा ओर भाई के साथ हॉस्पिटल में आता है। अब्दुल के पिता ने राम को सांत्वना दी ओर अस्पताल से राम के पिता की डेथ बॉडी लेकर श्मशान जाकर अंतिम क्रिया करवाई। राम रो रहा था अब्दुल के पिता ने राम को छाती से लगा लिया ओर बोले उस रब के आगे किसी की नही चलती तुम्हारे सर से पिता का साया तो उठ गया है उसकी पूर्ति तो कोई नही कर सकता परंतु जब तक मेरे शरीर में प्राण है तुम्हारे सर पर इस चाचा का साया रहेगा। तुम चिंता मत करो मैं ओर मेरा परिवार हमेशा तुम्हारे साथ है। राम अब्दुल से चिपट कर सुबक रहा था। जिसे भी इस बात का पता चला उसने ही इस दोस्ती का लोहा मान लिया। सच्चा दोस्त वही होता है दोस्तो जो हर सुख दुख में साथ निभाए।

परिचय :- राजीव निर्दोष लक्ष्य जैन
निवासी – धनबाद (झारखंड)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं छायाचित्र के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा अवश्य कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *