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बिटियाएँ ओझल

संजय वर्मा “दॄष्टि”
मनावर (धार)
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एक तारा टुटा
आँसमा से
धरती पर आते ही
हो गया ओझल
ये वैसा ही लगा
जेसे गर्भ से
संसार में आने के पहले
हो जाती है
बिटियाँ ओझल ।

तारा स्वत:टूटता
इसमे किसी का दोष नहीं
मगर गर्भ में ही
कन्या भ्रूण तोड़ने पर
इन्सान होता ही है दोषी ।

भ्रूण हत्या होगी जब बंद
तो बिटियाएँ भी धरती पर से
हमें निहार पायेगी
चाँद -तारों सा नाम पाकर
संग जग को भी रोशन कर पायेगी ।

ये बात बाद में
समझ में आई
टुटा तारा
लाया था एक संदेशा –
भ्रूण हत्या रोकने का
उससे नहीं देखी गई
ऊपर से ये क्रूरता ।

वो अपने साथी तारों को भी
ये कह कर आया-
तुम भी एक -एक करके
मेरी तरह
भ्रूण हत्या रोकने का
संदेशा लेते आओ ।

कब तक नहीं रोकेगें
क्रूर इन्सान भ्रूण हत्याए
संदेशा पहुँचे या न पहुँचे
पर रोकने हेतु ये हमारा
आत्मदाह है
हमारा बलिदान है
देखना अब हमें
ये कब काम आयेगा ।

परिचय :- संजय वर्मा “दॄष्टि”
पिता :- श्री शांतीलालजी वर्मा
जन्म तिथि :- २ मई १९६२ (उज्जैन)

शिक्षा :- आय टी आय
व्यवसाय :- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग)
प्रकाशन :- देश-विदेश की विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं का प्रकाशन, प्रकाशित काव्य कृति “दरवाजे पर दस्तक”, खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा-अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के ६५ रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान – २०१५, अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित
संस्थाओं से सम्बद्धता :- शब्दप्रवाह उज्जैन, यशधारा – धार, मगसम दिल्ली,
काव्य पाठ :- काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ, शगुन काव्य मंच
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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