
प्रियंका पाराशर
भीलवाडा (राजस्थान)
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रहते थे जब अपनी बस्ती में
हर पल गुजरता था मस्ती मेंदिल खोल कर हँसने का शोर
आत्मविश्वास की थी मजबूत ड़ोररोके से भी न रूकना,थकना
सबको खुश करने से न चूकनापहचान थी चमकता सितारा
तारीफें लुटाता ज़माना सारासबका भरोसा ही था सच्ची सुलझन
तो रिश्तों में न थी कोई भी उलझनडाँट में भी होती थी एक प्यारी परवाह
तो भटकने पर भी मिल जाती एक राहबेवजह खुशियाँ मिलती थी सस्ती में
रहते थे जब अपनी बस्ती में…….
परिचय :- प्रियंका पाराशर
शिक्षा : एम.एस.सी (सूचना प्रौद्योगिकी)
पिता : राजेन्द्र पाराशर
पति : पंकज पाराशर
निवासी : भीलवाडा (राजस्थान)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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