सत्यम पांडेय
राजीव नगर (गुरुग्राम)
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जिंदगी से तन्हा हूँ,
ख्वाबो में जिये जा रहा हूँ,
कुछ राज़ दिल के किये बयाँ,
कुछ करने जा रहा हूँ,
दे ताकत मेरे ईश्वर
तु मुझको इतनी,
जो कहने थे
लफ्ज़ उससे सभी,
उनको छोड़ और सब कुछ
कहे जा रहा हूँ।कुछ बातें सिर्फ कही नही जाती,
महसूस की जाती है,
अक्सर ये बताती नहीं
लेकिन फिक्र जताती है,
शायद कदर उसको भी होगी
मेरे इन अफसानों की,
जुबां से न कहे फिर भी
इशारों में बताती है।अगर जान भी माँगोगे तो
मना फिर भी नही करेंगे,
मगर जीने के बहाने
हम ढूढ़ते जरूर रहेंगे,
क्योंकि जुदा तुझसे तो
रह न पाएँगे कही भी,
“जा जीले उसके संग”
मेरे रब भी मुझसे कहेंगे।की देख तेरा नूर,
चमन में उतरा चांद है,
काश तू मेरे साथ होता,
बस इतनी सी फरियाद है,
जैसे वो तारा रहता हैं
चाँद संग हरदम,
वैसे ही तेरे बिना,
मेरी जिंदगी बर्बाद है।तेरी इस मुस्कुराहट के संग
यू ही जिये जा रहा हूँ,
तुझे पाने की फरियाद भी मैं
यू ही किये जा रहा हूँ,
इस ज़िंदगी में अगर
न भी मिले हम,
कोई गम नही,
तेरी याद लिए जा रहा हूँ।इन आँखों की कश्ती में
बैठ कर हम जरूर जाएँगे,
लहरे कितनी भी हो उंची,
किनारे का हम
पता लगाएं लगाएंगे,
तु बस थामे रहना
ये हाथ मेरे यार,
खिलती होंगी जहाँ से खुशियां,
वही अपना आशियाँ बनाएंगे।ये बातें लगती है प्यारी
पर ख्वाबो में जिये जा रहा हूँ,
बस यही वो राज़ थे जो
संग लिए जा रहा हूँ,
आज कर ही दिये बयाँ वो लफ्ज़,
आधे अधूरे ही सही,
होगी तुझको भी खबर इसकी,
यही उमीद किये जा रहा हूँ,
न बोल सका सीधा फिर भी,
ये पैग़ाम तुझको दिये जा रहा हूँ,
बस जिये जा रहा हूँ,
जिये जा रहा हूँ।।
परिचय :- सत्यम पांडेय
पिता : प्रमोद पांडेय
निवासी : राजीव नगर, गुरुग्राम
संस्थान : बी.टेक-कंप्यूटर साइंस (गुरुग्राम विश्वविद्यालय)
घोषणा पत्र : मेरी यह कविता स्वरचित एवं मौलिक तथा अप्रकाशित है।
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