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माँ पर अटल भरोसा

माधुरी व्यास “नवपमा”
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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पांडाल से नौ कन्याएँ सज-धजकर गरबा मंडल के आयोजक महिला और पुरुषों के छोटे से समूह के साथ मूर्तिकार के यहॉं पहुँची। उसमें से पहुँचते ही अंशी बेटी बोल पड़ी- “अरे अंकल ये क्या कर रहे हो? माँ के तिलक को आँख जैसा क्यों बनाया?” उन्हीं में से मिशी बोली- “और ये आँख से आग क्यों निकल दी आपने?” शक्ति संचय करता तीसरा नेत्र प्रज्वलित कर मूर्तिकार ने पलटकर देखा। उसका मन प्रसन्न हो गया शक्ति स्वरूपा माँ के नौ बाल रूप देख बरबस ही हाथ जोड़कर मस्तक झुका दिया। भावविभोर हो मन ही मन कहने लगा माँ तुम्हारे दर्शन से साधना सफल हुई। अंशी अपने नेत्र फैलाकर जवाब की प्रतीक्षा में देखने लगी मूर्तिकार कुछ कहता उसके पहले ही उसकी माँ ने जवाब दिया- “अरे अंशी बेटू माँ के नेत्र से आग नहीं निकल रही। यह तो शक्ति नेत्र है।” ओ! तो….इससे पॉवर मिलेगा मम्मा “ह्म्म्म माँ ने हाँ में सिर हिला दिया। पॉवर से क्या होगा आँटी- मिशु ने पूछा।” बेटा रोग, शोक, व्याधि और दुष्टों का नाश होगा। छोटी बच्चियों को सारे शब्द तो समझ मे नहीं आये पर रोग याने बीमारी सब समझ गई। अब एक के बाद एक सभी बच्चियाँ कहने लगी- एक बोली- “अच्छा आँटी मतलब अब कोरोना नहीं आएगा।” दूसरी बोली- “अरे हाँ पिछले साल माताजी पांडाल में नहीं आई थी ना! इसीलिए कोरोना आ गया था।” तीसरी बोल पड़ी- “दशहरे के बाद हमारे स्कूल शुरू होने वाले हैं।” चौथी बोली- “स्कूल जाने में सई में भी डर लग रहा है न।” पाँचवी बोली- “सब कह रहे थे कि तीसरी लहर हम बच्चों पर आएगी। बच्चियाँ बात कर ही रही थी कि माँ का जयकारा लगा। अंशी अपने होठों पर उँगली रखकर बोली-” श… श.शू….शू! चुप सब चुप! सब माँ से पॉवर ले लो और प्रे करो कि कोरोना अब कभी नहीं आएगा। ढोल बज उठे, सभी झूमकर गरबा नृत्य करने लगी। माँ अपने भक्तों के अटल विश्वास के साथ चल पड़ी पांडाल में विराजित होने।

परिचय :- माधुरी व्यास “नवपमा”
निवासी – इंदौर मध्य प्रदेश
सम्प्रति – शिक्षिका (हा.से. स्कूल में कार्यरत)
शैक्षणिक योग्यता – डी.एड, बी.एड, एम.फील (इतिहास), एम.ए. (हिंदी साहित्य)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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