
आस्था दीक्षित
कानपुर (उत्तर प्रदेश)
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आनंद मेरा बन के मुझको,
कैसे सजा रही
घुटनों घुटनों चल रही है,
पास फिर बुला रही
लाड लाड लाडली,
ये लाडली, ये लाडली
लाडली ये मेरी,
लाड-लाड-लाड-लाडली…झुनझुने की ताल से,
दासों दिशा है झूमती
हँस के वो जो देखती है,
खुशियां जैसे चूमती
खुश हूं इतनी कि मैं
सारी दौलते हूं पा रही
लाडली ये मेरी,
धीरे-धीरे मुस्कुरा रही….
लाडली ये मेरी,
लाड-लाड-लाड-लाडली…सोम सी है आंखे,
मसूड़ों से अब चबा रही
हाथों में है कंगन,
और तालिया बजा रही
किलकारियों से मेरे
घर को ये खिला रही
लाडली ये मेरी,
घर को गुलजार कर रही…
लाडली ये मेरी,
लाड-लाड-लाड-लाडली…चल रही है घुटनों घुटनों,
नन्हे हाथ खींच कर
हाथ में जो आ गया,
वो फेंके आंखे मींच कर
जाने कौन-कौन से
वो गाने गुनगुना रही
लाडली ये मेरी,
शैतानियां भी कर रही…
लाडली ये मेरी,
लाड-लाड-लाड-लाडली…
परिचय – आस्था दीक्षित
पिता – संजीव कुमार दीक्षित
निवासी – कानपुर (उत्तर प्रदेश)
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