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दीवाने देश के ….

राजेन्द्र कुमार पाण्डेय ‘राज’
बागबाहरा (छत्तीसगढ़)

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गर जमाने में मिलते हैं कई दीवाने
मगर भगतसिंह जैसा कोई नही होगा
भोग विलास में डूब मरे कई शासक
तिरंगे को कफ़न बनाने वाला वीर था भगतसिंह

सिंह जैसे अदम्य साहस से भरे हुए
रोम रोम से भारत माता का जय गान गूंजे
अंतिम सांस तक देश का गुणगान किये
जिंदगी से मोक्ष की कभी लालसा नहीं थी
बस तिरंगे से लिपट कर जाने का अरमान था

सिर्फ और सिर्फ वतन के लिए सोचता था वो
भारत माता के कदम चूमता रहा जिंदगी में
देशभक्ति रस में रसमय दीवाना था वो
जीता था देश के लिए मर गए वतन के लिए

अंजाम की कभी फिक्र नही दीवाने को
बस आगाज की बातें करता था जिन्दगी भर
वतन परस्ती के मिसाल बनकर इंकलाब लाया
बसंती चोला पहनकर विदा हुआ वो मस्ताना था

ना तन की चिंता ना धन का परवाह
लहू का एक एक कतरा वतन के लिए दिया
जिंदगी में बहुत कुछ कर गया वतन के खातिर
मरने के बाद भी इंकलाब का सैलाब लाया था

फौलादी सीने में जुनून रखता भगतसिंह
आंखों में देशभक्ति की चमक रहती थी
साँसे भी थम जाती थी दुश्मनों की
देश का दीवाना आवाज में वो ताकत रखता था

फांसी की फंदे को चूमकर झूल गया वो
हँसते हँसते कुर्बानी दी वतन पे अपनी जवानी को
वतन के खातिर जान देना फकत वतन की मोहब्बत थी
सिंह था वो अपने खून लिख गया कहानी वतन की

परिचय :-  राजेन्द्र कुमार पाण्डेय ‘राज’
निवासी : बागबाहरा (छत्तीसगढ़)
सम्प्रति : प्राचार्य सरस्वती शिशु मंदिर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, बागबाहरा
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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