Thursday, November 7राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

उखड़ा बरगद

मनोरमा पंत
महू जिला इंदौर म.प्र.
********************

                                          सवेरे-सवेरे शोर सुनकर मैं घर के बाहर आया, देखा लोगों का एक हूजुम घर के आगे खड़ा था। मुझे देखते ही एक नेतानुमा आदमी आगे बढ़कर कर्कश स्वर में चिल्लाया- ’’आप गाँव में नये-नये आए हो, आप की हिम्मत कैसे हुई, बरगद का पेड़ लगाने की? किससे पूछा आपने?’
मैं हकबका गया। सूझ नहीं पड़ रहा था कि मैं क्या जबाव दूँ। जुम्मा-जुम्मा गाँव में आये पन्द्रह दिन ही हुए थे, और यह बिन बुलाये मुसीबत। जीप में घूमने निकला था, रास्तें में जड़ से उखड़ा छोटा सा बरगद का पेड़ मिला, सोचा, गाँव की खाली पड़ी जमीन पर लगा दूँगा। ऐसा ही किया, पर सिर पर ऐसी मुसीबत आऐगी, सोचा न था। सोच में डूबा ही था कि फिर से नेतानुमा आदमी गुर्राया “बड़े होकर बरगद पूरी जमीन घेर लेगा, रास्ता बंद हो जावेगा, समझे।’’
मैं गिड़गिड़ा कर माफी माँगने की मुद्रा में आ ही गया था कि पीछे खड़ी श्रीमती जी ने उबार लिया। कहने लगी
देखो जी! उखड़़ा पेड़ लगाना पुण्य का काम है। हमारे पंडित जी से पूछकर लगाया है, पूरे विधि विधान से। पेड़ पर टँगी लाल चुनरी नहीं देख रहे हो।
हाँ! पडित जी ने एक बात और कही थी। उत्सुकता से एक बुजुर्ग ने पूछा- ’’क्या कहा पंडित जी ने?’’
श्रीमती जी के चेहरे पर अब आत्माविश्वास की लाली छा गई थी, बोली- ’’पूरे विधि-विधान से लगे पेड़ को पुनः उखाड़े नहीें। उखाड़ने वाले के भाग्य में मृत्यु का योग है। हम दोनों तो उखाड़गे नहीं, आप लोगों को आपत्ति है, तो उखाड़ दे।’’
देखते ही देखते हुजूम गायब हो गया।

परिचय :-  श्रीमती मनोरमा पंत
सेवानिवृत : शिक्षिका, केन्द्रीय विद्यालय भोपाल
निवासी : महू जिला इंदौर
सदस्या : लेखिका संघ भोपाल जागरण, कर्मवीर, तथा अक्षरा में प्रकाशित लघुकथा, लेख तथा कविताऐ
उद्घोषणा : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।

आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें....🙏🏻

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *