कविता
दंश ले जो तू मुझे, तो नींद आ जाए
बाल कृष्ण मिश्रा
रोहिणी (दिल्ली)
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बीते लम्हों का सूनापन
तेरी यादों का महकता चंदन
आंखें में थमी तेरी परछाई,
रोशनी बनकर
बूंदों में घुल जाए।
दंश ले जो तू मुझे,
तो नींद आ जाए।
कहां मुमकिन है मोहब्बत को
लफ्ज़ों में बयां कर पाना।
आसान नहीं भुला, ...
छंद
आज ऐसे क्रान्तिकारी चाहिए
गिरेन्द्रसिंह भदौरिया "प्राण"
इन्दौर (मध्य प्रदेश)
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गीतिका छ्न्द में
जो स्वयं कर्तव्य पथ की, साधना को साध लें।
आपदा की आँधियों को, मुट्ठियों में बाँध लें।
थरथरा उट्ठें कलेजे, नाम सुनकर पा...
उपन्यास
उपन्यास : मैं था मैं नहीं था : अंतिम भाग- ३१
विश्वनाथ शिरढोणकर
इंदौर म.प्र.
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उस दिन स्कूल में सोनू को मैने बडी शान से कहां, 'आज मैने राम मंदिर में पूजा की।'
'क्यों? उस घर के सब बडे कहां गए?' सोनू ने पूछा। सोनू को भी पता था कि वह घर मेरा नही है।' कितने सारे तो भगवान है वहां मंदिर में? तुमने कैसे की होगी प...
ग़ज़ल
दम में नहीं है दम
निज़ाम फतेहपुरी
मदोकीपुर ज़िला-फतेहपुर (उत्तर प्रदेश)
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वज़्न- २२१ २१२१ १२२१ २१२
अरकान- माफ़ऊल फ़ाइलात मुफ़ाईल फ़ाइलुन
दम में नहीं है दम कोई फिर भी नहीं है कम।
हर शख़्स कह रहा है कि आगे रहेंगे हम।।
शेरो सुख़न की दुनिया में कुछ ऐसे खो गया।
सुख में...
जन्मदिवस
आनंद में डूबती उतरती अविस्मरणीय यात्रा
शकुन्तला दुबे
देवास (मध्य प्रदेश)
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प्रातः पांच पैंतालीस पर सुखद सुरक्षित यात्रा की कामना के साथ दीप प्रज्ज्वलित किया तब कल्पना भी नहीं थी कि अनुपम नैसर्गिक सौंदर्य हमारी बाट जोह रहा है। हमारे स्वागत के लिए बादल हल्की फूहा...
