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आँखों का भ्रम 

आँखों का भ्रम

रचयिता : शशांक शेखर

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ये ज़रूर तुम्हारी आँखों का भ्रम होगा

भागता साया किसी और का देखा होगा

राह तकते तकते बीत गयी उम्र आधी

तुमने भी लाचार क़दमों को घसीटा होगा

पूष की ठिठुरती रात सन्नाटे काँपते हाथ

रात का साया अलाव के क़रीब बैठा होगा

तुम्हें सोचते सोचते और ज़िंदगी से सिखते

मेरी आँखों में सो कर सुबह जागा होगा

इंसान हैं हम तो शिकायतें तो होंगी ही

मेरी शख़्सियत में भी वफ़ा और जफ़ा होगा

ज़िंदगी क्या है आँख से बहता हुआ बेरंग दरिया

तुमने हथेली में थामा होता तो रंगीन होता

अब जब नहीं हो तुम तो आहट की उम्मीद है

इसी का नाम शशांक तमन्ना-ए-इश्क़ होगा

 

लेखक परिचय :– आपका नाम शशांक शेखर है आप ग्राम लहुरी कौड़िया ज़िला सिवान बिहार के निवासी हैं आपकी रुचि कविताएँ आलेख पढ़ने और लिखने में है।

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